C&AG of India - Comptroller and Auditor General of India
1. Introduction
C&AG is an independent authority under the Constitution of India.
It is responsible for auditing the accounts of both the central and state governments and public sector organizations.
The office of C&AG is crucial for upholding transparency and accountability in the public financial system.
2. Constitutional Provisions
Article 148: Establishes the C&AG of India.
Article 149: Describes the duties and powers of the C&AG.
Article 150: Mandates that the form in which accounts of the union and states shall be kept is prescribed by the C&AG.
Article 151: Provides that the reports of the C&AG shall be submitted to the President or the Governor, who shall then place it before the Parliament or state legislature, respectively.
3. Appointment and Tenure
Appointed by the President of India.
The tenure of C&AG is 6 years or up to the age of 65 years, whichever is earlier.
The C&AG cannot be re-appointed to the same position after the completion of their term.
4. Functions of C&AG
Audit of Government Accounts: Examines whether government revenues and expenditures have been appropriately accounted for and legally authorized.
Audit of Public Sector Enterprises: Audits the accounts of government companies and corporations.
Audit of Grants and Loans: Ensures that grants or loans given to any institution or authority are used properly.
Performance Audit: Evaluates whether resources are being used efficiently, economically, and effectively.
Audit of Receipts: Checks government receipts like taxes, duties, and other income.
Reports to Parliament and State Legislatures: The C&AG reports are discussed by the Public Accounts Committee (PAC) and Committees on Public Undertakings (COPU).
5. Importance
Ensures Accountability: By auditing the accounts of the government, the C&AG ensures that public funds are used responsibly.
Promotes Transparency: Public audits make financial information available to the citizens, promoting transparency.
Guardian of Public Purse: Acts as a financial watchdog to prevent misuse of public money.
Assists in Policy Making: Provides valuable insights and recommendations through performance audits, helping improve governance.
6. Challenges
Implementation of Recommendations: Many of the recommendations made by the C&AG are not implemented effectively.
Lack of Sufficient Resources: Sometimes, the office faces resource constraints which hamper its functioning.
Political Influence: Though constitutionally independent, there are occasional concerns about political interference in its functioning.
Key Points:
C&AG - Supreme Audit Authority in India
Independent authority under the Constitution of India
Pay & Allowances of C&AG is comes under Charged Expenditure (Not Voted Expenditure)
Article 148 of the Constitution of India - Appointment of the C&AG
Articles 149 to 151 - Functions of C&AG
Appointed by the President of India
Tenure: 6 Years or 65 Years of age whichever is earlier
Functions: Audit of Receipts & Expenditure of Government and PSEs (Public Sector Enterprises)
Reports to Parliament through PAC - Public Accounts Committee and COPU - Committee Of Public Undertakings
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सीएजी (भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) के बारे में प्रमुख बिंदु
1. परिचय
सीएजी भारतीय संविधान के अंतर्गत एक स्वतंत्र प्राधिकरण है।
इसका कार्य केंद्र और राज्य सरकारों तथा सार्वजनिक क्षेत्र की संगठनों के खातों का लेखापरीक्षण करना है।
सीएजी का कार्यालय सार्वजनिक वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
2. संवैधानिक प्रावधान
अनुच्छेद 148: भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक का प्रावधान करता है।
अनुच्छेद 149: सीएजी के कर्तव्यों और शक्तियों का वर्णन करता है।
अनुच्छेद 150: सीएजी द्वारा निर्धारित रूप में संघ और राज्यों के खातों को रखने का आदेश देता है।
अनुच्छेद 151: सीएजी की रिपोर्ट राष्ट्रपति या राज्यपाल को सौंपी जाती है, जो उसे संसद या राज्य विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत करते हैं।
3. नियुक्ति और कार्यकाल
सीएजी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
सीएजी का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले हो।
कार्यकाल समाप्त होने के बाद सीएजी को पुनः नियुक्त नहीं किया जा सकता।
4. सीएजी के कार्य
सरकारी खातों का लेखापरीक्षण: यह जांच करता है कि सरकारी राजस्व और व्यय को सही ढंग से दर्ज किया गया है और विधिपूर्वक स्वीकृत किया गया है या नहीं।
सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का लेखापरीक्षण: सरकारी कंपनियों और निगमों के खातों का लेखापरीक्षण करता है।
अनुदान और ऋण का लेखापरीक्षण: यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी संस्थान या प्राधिकरण को दिए गए अनुदान या ऋण का सही उपयोग हुआ है।
प्रदर्शन लेखापरीक्षण: यह सुनिश्चित करता है कि संसाधनों का प्रभावी ढंग से, किफायती और आर्थिक रूप से उपयोग किया जा रहा है।
प्राप्तियों का लेखापरीक्षण: सरकार की प्राप्तियों जैसे कर, शुल्क, और अन्य आय की जाँच करता है।
रिपोर्ट संसद और राज्य विधानमंडलों को: सीएजी की रिपोर्टों पर लोक लेखा समिति (PAC) और सार्वजनिक उपक्रमों की समितियों (COPU) द्वारा चर्चा की जाती है।
5. महत्व
जवाबदेही सुनिश्चित करता है: सरकारी खातों का लेखापरीक्षण करके, सीएजी यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक धन का जिम्मेदारी से उपयोग हो।
पारदर्शिता को बढ़ावा देता है: सार्वजनिक लेखापरीक्षण वित्तीय जानकारी को नागरिकों के लिए उपलब्ध कराता है, जो पारदर्शिता को बढ़ावा देता है।
सार्वजनिक धन का संरक्षक: यह सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए वित्तीय निगरानीकर्ता के रूप में कार्य करता है।
नीति निर्माण में सहायता करता है: प्रदर्शन लेखापरीक्षण के माध्यम से महत्वपूर्ण सिफारिशें प्रदान करता है, जिससे शासन में सुधार होता है।
6. चुनौतियाँ
सिफारिशों का कार्यान्वयन: सीएजी द्वारा की गई कई सिफारिशों का प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन नहीं हो पाता है।
पर्याप्त संसाधनों की कमी: कभी-कभी, कार्यालय संसाधनों की कमी का सामना करता है, जिससे उसके कार्यों में बाधा आती है।
राजनीतिक प्रभाव: हालांकि यह संवैधानिक रूप से स्वतंत्र है, लेकिन इसके कामकाज में कभी-कभी राजनीतिक हस्तक्षेप की चिंता होती है।
मुख्य बिंदु:
C&AG - भारत में सर्वोच्च लेखा परीक्षा प्राधिकरण
भारत के संविधान के तहत स्वतंत्र प्राधिकरण
C&AG का वेतन और भत्ते प्रभारित व्यय (मतदान व्यय नहीं) के अंतर्गत आते हैं
भारत के संविधान का अनुच्छेद 148 - C&AG की नियुक्ति
अनुच्छेद 149 से 151 - C&AG के कार्य
भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त
कार्यकाल: 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो
कार्य: सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसई) की प्राप्तियों और व्यय का लेखा परीक्षण
पीएसी - लोक लेखा समिति और सीओपीयू - सार्वजनिक उपक्रमों की समिति के माध्यम से संसद को रिपोर्ट
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